8th pay commission:

8th pay commission, सरकारी कर्मचारी के लिए नए साल में बड़ी खुशखबरी:

8th pay commission: पीएम मोदी ने कहा कि 8वें वेतन आयोग के गठन के सरकार के फैसले से उपभोग को बढ़ावा मिलेगा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

8th pay commission

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों के भत्तों में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी।मंत्री ने बताया कि आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों के साथ भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

जानिए क्या है 8th pay commission:

8वां वेतन आयोग भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि इसमें उनके वेतन ढांचे, भत्तों और समग्र मुआवजे में बड़े बदलाव लाने की क्षमता है। वेतन आयोगों को सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करने और उसमें बदलाव की सिफारिश करने के लिए नियुक्त किया जाता है। 2016 में लागू किए गए 7वें वेतन आयोग ने वेतन में काफी बढ़ोतरी की, लेकिन आगे सुधार की मांगों ने 8वें वेतन आयोग की आवश्यकता पर चर्चा को जन्म दिया है।

8th pay commission,गठन और उद्देश्य:

वेतन आयोग का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला मुआवज़ा देश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन और भत्ते प्रतिस्पर्धी, निष्पक्ष और सही प्रतिभा को आकर्षित करने में सक्षम हों। यह यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि मुद्रास्फीति और जीवन-यापन की लागत के मामले में वेतन पर्याप्त रहे, जिससे सरकारी कर्मचारियों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो।

भारत सरकार आमतौर पर वेतन संरचना, भत्ते, पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों की समीक्षा करने के लिए हर दस साल में एक वेतन आयोग का गठन करती है। चूंकि 7वां वेतन आयोग 2016 से प्रभावी है, इसलिए 8वें वेतन आयोग की स्थापना के बारे में प्रत्याशा बढ़ रही है।

8th pay commission, की मुख्य विशेषताएं:

हालांकि सरकार ने अभी तक आधिकारिक तौर पर 8वें वेतन आयोग की स्थापना नहीं की है, लेकिन इसके गठन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। यहां कुछ संभावित विशेषताएं और पहलू दिए गए हैं, जिन्हें आगामी 8वें वेतन आयोग द्वारा संबोधित किया जा सकता है:

वेतन वृद्धि: प्राथमिक अपेक्षाओं में से एक सरकारी कर्मचारियों के लिए मूल वेतन और भत्तों में वृद्धि है। 7वें वेतन आयोग के तहत मौजूदा वेतन संरचना बढ़ती मुद्रास्फीति और जीवन-यापन की लागत के कारण दबाव में रही है। इसलिए, वेतन वृद्धि सबसे प्रत्याशित पहलुओं में से एक है।

  • संशोधित वेतनमान: 8वां वेतन आयोग विशेषज्ञों की सिफारिशों और मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के आधार पर वेतनमानों को संशोधित कर सकता है। इससे विभिन्न सरकारी विभागों में वेतन का अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है।
  • बढ़े हुए भत्ते: अन्य भत्ते, जैसे कि मकान किराया भत्ता (HRA), महंगाई भत्ता (DA), और यात्रा भत्ते, का भी पुनर्गठन किया जा सकता है। प्रमुख शहरी केंद्रों में रहने की बढ़ती लागत भत्तों के संशोधन को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए प्रेरित कर सकती है।
  • पेंशन सुधार: सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना एक और क्षेत्र है जिसकी समीक्षा की जा सकती है। सेवानिवृत्त लोगों की बढ़ती संख्या और राजकोष पर बढ़ते पेंशन बोझ को देखते हुए, स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुधार पेश किए जा सकते हैं।
  • केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों पर प्रभाव: जबकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग से प्राथमिक लाभ मिलने की संभावना है, सिफारिशें अक्सर राज्य सरकार के कर्मचारियों तक भी विस्तारित की जाती हैं, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाओं में व्यापक बदलाव आते हैं।

7th pay commission में क्या बदलाव हुए:

सातवें वेतन आयोग के लिए वेतन संशोधन की बात आने पर कर्मचारी यूनियनों ने 3.68 फिटमेंट फैक्टर की मांग की थी, लेकिन सरकार ने 2.57 फिटमेंट फैक्टर तय किया। फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है जिसका उपयोग वेतन और पेंशन की गणना के लिए किया जाता है।

इससे न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 प्रति माह हो गया, जबकि छठे वेतन आयोग में यह ₹7,000 था।

न्यूनतम पेंशन भी ₹3,500 से बढ़कर ₹9,000 हो गई और अधिकतम वेतन ₹2,50,000 और अधिकतम पेंशन ₹1,25,000 हो गई।

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